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नारायणन विजयराज अलगरस्वामी का ( विजयकांत) निधन हो गया है.

नारायणन विजयराज अलगरस्वामी का ( विजयकांत) निधन हो गया है.

नारायणन विजयराज अलगरस्वामी का ( विजयकांत) निधन हो गया है. विजयकांत जिनक असली नाम नारायणन विजयराज अलगरस्वामी है।नारायणन विजयराज अलगरस्वामी ( विजयकांत) निधन हो गया है. फिल्मी सफर से लेके राजनीती सफर तक इन्होने बहोत अपना नाम कमाया लेकिन अब वो इस दुनिया में नहीं रहे

नारायणन विजयराज अलगरस्वामी ( विजयकांत) भारत के जाने मने एक्टर और पॉलिटिशियन थे। उनका जमन २५ अगस्त १९५२ मदुरै मद्रास में हुआ। उनके पिता के न अलगरस्वामी और उनके माता का नाम आंडाल अज़्हगरस्वामा है. और विजयकांत की पत्नी प्रेमलता विजयकांत इनकी शादी १९९० में हुआ था और इनके दो बचे भी है.

फिल्मी करियर:

विजयकांत ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत इनिक्कुम इलमई के साथ सन १९७९ में किया था उसके बाद उसे साल में इनकी फिल्म “अगल विलक्कू” फिल्म आया उसके बाद एक के बाद एक हिट फिल्म दिया इसके बाद इनकी कई फिल्म फ्लॉप रही उसके बाद सबसे बड़ी कमर्शियल सक्सेस Sattam Oru Iruttarai १९८२ रिलीज़ किया गया जो भारत में कई भरसाओ में इस फिल्म का रीमेक बबनय गया था १९८४ में इन्होने कुल १८ फिल्म रिलीज़ कर रिकॉर्ड बनाया दिया तमिल इंडस्ट्री में एक साल में सबसे ज्यादा फिल्म बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम कर किया कई रिकॉर्ड कायम करने के बाद २००१ में राज्य का “कलैममणि” अवार्ड भी जीता इसके साथ इन्होने ने कई बेहतरीन फिल्मे भी दी है हमारे देश को जैसे की नूरवाथु नाल, वैधेगी काथिरुन्थाल अम्मान कोविल किज़हाकाले इस फिल्म में विजयकांत ने फ़िल्म्फरे अवार्ड भी जीता है.

राजनीती करियर:

१४ सितम्बर २००५ में विजयकांत दसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कैहगाम नाम की तमिन नाडु में एक रीजनल पार्टी बनायीं। २००६ के विधानसभा इलेक्शन में उन्होंने एक सीट पे चुनाव लगा और उसपे जीत हासिल किया.

मौत का कारन:

विजयकांत काफी समय से बीमार रह रहे थे उनकी मौत कोरोना पोस्टिव होने से हुआ है.

श्रद्धांजलि:

भारत में प्राइम मॉनिटर  नरेंद्र मोदी से लेके कई और बड़े बड़े नेता से लेके एक्टर सभी ने शोक जताया और इनकी उपलब्धिया याद की

विजयकांत

इनका विजयकांत जन्म विजयराज अलगरस्वामी के रूप में हुआ था मदुरै में उनके पति एक राइस मिल चलते थे इनके पिता को विजयकांत को लेके बहोत ही चिंता होती थी क्यों की ये पढाई में बहोत ही कमजोर थे और इनका पढाई में मन भी नहीं लगता था लेकिन एक अच्छी बाद भी थी की इनको सिनेमा का बहोत सुख था लेकिन इस चीज़ से भी खुश नहीं थे विजयकांत के पिता इसके बाद विजयकांत ने अपना घर छोड़ दिया अपने सपनो को पूरा करने के लिए उसके बाद विजयकांत ने एक फोटो स्टूडियो में काम किया क्यों की ये शायद हो सकता था उनके सपनो को पूरा करना का एक तरीका या पहली सीढ़ी  इसी दुआरण विजयकांत की मुलाककट । असाइथाम्बी से हो गयी उसके बाद विजयकांत को सपोर्टिंग रोले कास्ट किया गया ये फिल्म रजनीकांत के छोटे भाई का था. उसके बाद इन्होने कई फिल्मो खो दिया अपने एक्टिंग के शुरुआती दौर में इनके काळा स्किल के वजह से इनको बहोत सरे क्रिटिसिज्म का भी सामना करना पड़ा कुछ एक्ट्रेस ऐसी भी थी जिन्होंने इनके साथ काम करने से मना भी कर दिया था उनके नाम है राधिका सरथकुमार , सरिता ,अम्बिका और राधा .उसके बाद भी विजयकांत ने अपना सपना नहीं छोड़ा अपने पहले ही फिल्म में उनको फ़ैल का सामना करना पड़ा इनकी पहली फिल्म इनिक्कुम ललामे जो की १९७९ में आई थी फिल्म पीटने का बाद १९८० में आई फिल्म दूरथी लड़ी मुज़हाक्कम को मिली सुकीस से विजयकांत लाइमलाइट में आ गए इनको इस फिल्म से बहोत ही नाम मिला इसके बाद विजयकांत ने एक से बड़के एक फिल्मे दिए साउथ फिल्म इंडस्ट्री को हलाकि इनकी ज्यादा तर फिल्मे करप्शन पे होती थी २० से ज्यादा फिल्मो में विजय ने पुलिस काम रोले निभाया है , इनकी फिल्मे ज्यादा तर देश भक्ति फिल्म ही होती थी.

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